शाहरुख खान बॉलीवुड में रोमांस का दूसरा नाम हैं। प्रशंसक भले ही उनके रोमांटिक अंदाज के कायल हैं, लेकिन शाहरुख ने अपने अभिनय को रोमांस तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने कई गंभीर और प्रेरक किरदारों में पर्दे पर यादगार प्रस्तुति दी है।शाहरुख 2 नवंबर को अपना 57वां जन्मदिन मना रहे हैं।
उनके कई डायलॉग्स लोगों को संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं। ऐसे में नजर डालते हैं उन डायलॉग्स पर, जिनमें शाहरुख पर्दे पर अमूल्य बातें कह गए।
1. फ़िल्म डियर जिंदगी –
“जब हम अपने आप को अच्छी तरह समझ लेते हैं, तो दूसरे क्या समझते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता।”
शाहरुख और आलिया भट्ट की यह फिल्म 2016 में आई थी। फिल्म में शाहरुख एक मनोचिकित्सक, डॉक्टर जहांगीर की भूमिका में नजर आए थे जिनके पास कियारा (आलिया) काउंसेलिंग के लिए पहुंचती है। कियारा की काउंसेलिंग के दरम्यान जहांगीर दर्शकों को भी महत्वपूर्ण सीख सिखा जाते हैं। यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर मौजूद है।
2. फ़िल्म चक दे इंडिया –
“जो नहीं हो सकता, वही तो करना है।”
फिल्म ‘चक दे इंडिया’ में कबीर जब यह डायलॉग बोलता है, तो इसका उत्साह सीधा दर्शकों तक पहुंचता है। इसके अलावा यह फिल्म कई अन्य प्रेरक संवादों से भरी है। फिल्म में शाहरुख का ’70 मिनट’ वाला मोनोलॉग काफी लोकप्रिय है। 2007 में आई यह फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर देखी जा सकती है।इस फिल्म को IMDb पर 8.1 स्टार मिले हैं।
3. फ़िल्म ओम शांति ओम –
“कहते हैं अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है।”
फिल्म ‘ओम शांति ओम’ से शाहरुख का यह डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर रहता है। यह डायलॉग पाओलो कोएलो के उपन्यास ‘द अल्केमिस्ट’ से प्रेरित है।2007 की इस फिल्म से दीपिका पादुकोण ने बॉलीवुड में अपने सफर की शुरुआत की थी। फिल्म का निर्देशन फराह खान ने किया था। यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर मौजूद है।
4. फ़िल्म हैप्पी न्यू ईयर –
“दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, विनर्स और लूजर्स। लेकिन जिंदगी हर लूजर को एक मौका जरूर देती है जिसमें वो विनर बन सकता है।”
2014 में आई इस फिल्म को क्रटिक्स ने ज्यादा पसंद नहीं किया था, लेकिन फिल्म का यह डायलॉग काफी लोकप्रिय हुआ। फिल्म में शाहरुख के साथ दीपिका पादुकोण और अभिषेक बच्चन मुख्य भूमिका में नजर आए थे। शाहरुख की यह फिल्म भी नेटफ्लिक्स पर मौजूद है।
5. फ़िल्म स्वदेश –
“मैं नहीं मानता हमारा देश सबसे महान देश है, लेकिन ये जरूर मानता हूं कि हममें काबिलियत है, अपने देश को महान बनाने की।”
आशुतोष गोवारिकर की इस फिल्म में शाहरुख ने नासा के एक वैज्ञानिक, मोहन भार्गव का किरदार निभाया था। अमेरिका में रहने के बाद जब मोहन स्वदेश आता है तो यहां की तंगहाली को देखकर परेशान हो उठता है। वह गांववालों की मदद से अपने गांव के लिए बिजली बनाता है। यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है।