Gujarat Assembly Elections 2022:गुजरात के रण में किसे विजय, इन 5 मुद्दों से नतीजा होगा तय…

1995 से लेकर अब तक लगभग 27 सालों से गुजरात में बीजेपी की सरकार है। इतने दिनों तक सत्ता में रहने के कारण भाजपा के खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी है ऐसा माना जा रहा है।आम आदमी पार्टी भी खुद को रेस में बता रही है…

गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों के कारण राज्य के राजनीतिक गलियारों में हलचल देखने को मिल रही है। एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी अपने 27 साल से लगातार चले आ रहे शासन को और आगे बढ़ाना चाह रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पिछले चुनावों के अपने प्रदर्शन को और बेहतर कर गुजरात की सत्ता में वापसी करने के प्रयास में लगी हुई है। इन दोनों पार्टियों के अलावा इस बार चुनावों अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी मैदान में है। पंजाब विधानसभा चुनावों में मिली जीत से आम आदमी पार्टी उत्साहित है। ‘आप’ गुजरात में इकलौती पार्टी है जिसने अपने मुख्यमंत्री चेहरे का ऐलान कर दिया है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी 27 साल की एंटी इन्कंबेंसी से जूझ रही है वहीं कांग्रेस के पास राज्य में कोई मजबूत चेहरा नहीं है। इन सबके अलावा गुजरात में कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो गुजरात चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। आइये जानते हैं गुजरात के इन महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में-

27 सालों की सत्ता विरोधी लहर –

1995 से लेकर अब तक लगभग 27 सालों से गुजरात में बीजेपी की सरकार है। इतने दिनों तक सत्ता में रहने के कारण भाजपा के खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी है ऐसा माना जा रहा है। एक तरफ गुजरात मॉडल का उदाहरण देकर भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में चुनाव प्रचार कर रही हैं वहीं राज्य के लोगों का मानना है कि, भाजपा के इतने दिन सत्ता में रहने के बाद भी महंगाई, बेरोजगारी और आम लोगों की जिंदगी से जुड़े जरूरी मुद्दे अभी भी सॉल्व नहीं हो पाए हैं।

मोरबी ब्रिज हादसा –

हाल ही में गुजरात के मोरबी शहर में ब्रिज के टूटने से लगभग 135 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस हादसे में व्यापारियों और प्रशासन के बीच की गठजोड़ सामने आई, जिसमें ब्रिज के रेनोवेशन के लिए 2 करोड़ रुपए दिए गए थे लेकिन ब्रिज में महज 12 लाख रुपए ही खर्च किए गए। गुजरात का मतदाता जब वोट करने जाएगा उसके मन में मोरबी ब्रिज हादसा प्रभाव डाल सकता है।

सरकारी नौकरियां –

देश में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरी है। गुजरात चुनावों में भी बेरोजगारी को एक बड़ा चुनावी मुद्दा माना जा रहा है। राज्य में होने वाले पेपर लीक और एग्जाम की तारीख को आगे बढ़ाते जाने से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेर देती हैं, जिसे लेकर राज्य के युवाओं में भारी असंतोष हो सकता है।

बिलकिस बानों केस के दोषियों की रिहाई –

राज्य में होने वाले चुनावों से महज कुछ महीने पहले बिलकिस बानो रेप केस के दोषियों की रिहाई भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। बिलकिस बानो मामले में दोषियों को समय से पहले रिहाई दिए जाने से राज्य के अल्पसंख्यक वर्ग के साथ बहुसंख्यक वर्ग पर भी प्रभाव डालेगा। गुजरात के मुसलमानों के साथ पूरे देश के मुसलमानों समेत कई वर्ग के लोगों ने बिलकिस बानों मामले में नाराजगी जाहिर की थी। इस मामले का भी गुजरात चुनावों पर असर हो सकता है।

गुजरात में बिजली के दाम –

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने राज्य की सत्ता में आने पर 300 यूनिट तकक फ्री बिजली देने का वादा किया है। गुजरात की महंगी बिजली भी इन चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। साउदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हाल ही में बिजली की दरों में कटौती की मांग की थी। उनका कहना था कि महाराष्ट्र में इंडस्ट्री के लोगों को 4 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलती है, जबकि उन्हें एक यूनिट बिजली के 7.50 रुपए देने पड़ते हैं।

किसानों के मुद्दे –

गुजरात के उन किसानों और जमीन के मालिकों में उनकी जमीन अधिग्रहण को लेकर गहरा असंतोष है। कई सरकारी योजनाओं को लिए किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण को लेकर सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। ठीक इसी तरह वड़ोदरा और मुंबई के बीच बनने वाले एक्सप्रेसवे को लेकर हो रहे भूमि अधिग्रहण को लेकर भी लोगों ने भारी विरोध किया था। इन सबके अलावा राज्य में पिछले दो सालों से भारी बारिश हो रही है, जिस कारण किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। मुआवजे को लेकर राज्य के कई इलाकों में किसान प्रेटेस्ट कर रहे हैं।

About शिवांकित तिवारी "शिवा"

शौक से कवि,लेखक, विचारक, मुसाफ़िर पेशे से चिकित्सक! शून्य से आरंभ...

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