अगर आप स्ट्रेस, एंग्जाइटी और मूड स्विंग्स को एक ही समझते हैं, तो आज इनमें अंतर जान लीजिए…
मानसिक स्वास्थ्य पर अक्सर लोग चर्चा करना पसंद ही नहीं करते हैं। आमतौर पर, अपनी समस्या किसी से ना बता पाने के कारण व्यक्ति की स्थिति बद से बदतर होती जाती है। वहीं, दूसरी ओर कई बार लोग खुद भी अपनी स्थिति का आकलन करने में सक्षम नहीं होते हैं, क्योंकि उन्हें खुद ही पता नहीं होता है कि वास्तव में उनके साथ क्या हो रहा है और वे इसे किस तरह हैंडल करें।
मसलन, स्ट्रेस, एंग्जाइटी और मूड स्विंग्स तीनों ही व्यक्ति की मेंटल हेल्थ को प्रभावित करते हैं। अक्सर लोग तीनों ही स्थितियों को एकसमान समझ लेते हैं। जबकि इन तीनों के बीच महीन रेखा होती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको स्ट्रेस, एंग्जाइटी और मूड स्विंग्स के बीच के अंतर के बारे में बता रहे हैं, जिससे आप इसे अच्छी तरह मैनेज कर पाने में सक्षम भी हो पाएंगे-
स्ट्रेस क्या है ?
स्ट्रेस और एंग्जाइटी में अक्सर लोग अंतर नहीं कर पाते हैं, क्योंकि दोनों में लगभग एक जैसे लक्षण मसलन हार्ट बीट का तेज होना, ब्रीदिंग फास्ट होना या डायरिया व कब्ज की समस्या हो सकती हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच एक थिन लाइन होती है। स्ट्रेस वास्तव में शॉर्ट टाइम पीरियड के लिए हो सकता है और यह आमतौर पर बाहरी ट्रिगर के कारण होता है। मसलन, काम का अत्यधिक बोझ, किसी प्रियजन के साथ लड़ाई होना या फिर किसी क्रानिक बीमारी के कारण परेशान होना आदि। स्ट्रेस होने पर कुछ अलग लक्षण भी नजर आ सकते हैं। मसलन- गुस्सा, अकेलापन, चिड़चिड़ापन, सामान्य नाखुशी, जी मिचलाना या चक्कर आना आदि। कई बार जब स्ट्रेस बढ़ने लगता है तो इससे अवसाद या डिप्रेशन की स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए, समय रहते तनाव को मैनेज करना बेहद आवश्यक होता है।
एंग्जाइटी क्या है ?
वहीं अगर बात एंग्जाइटी या चिंता की हो तो यह लंबे समय तक बनी रह सकती है। कभी-कभी ऐसा लग सकता है कि कुछ भी इसे ट्रिगर नहीं कर रहा है। लेकिन फिर भी व्यक्ति को अधिक चिंतित महसूस कर सकता है। एंग्जाइटी होने पर व्यक्ति को बेचैनी, भय की भावना, पसीना आना, दस्त या कब्ज होना, घबराहट, नींद की समस्या होना आदि हो सकता है।
मूड स्विंग्स क्या है ?
मूड स्विंग्स वास्तव में तनाव व चिंता दोनों से ही बिल्कुल अलग है। मूड स्विंग्स किसी व्यक्ति के इमोशनल स्टेट में अचानक या तीव्र गति से होने वाला परिवर्तन है। मूड स्विंग्स के दौरान एक व्यक्ति बिना किसी कारणवश खुद को अधिक खुश या उत्साहित महसूस कर सकता है और फिर जल्द ही वह उदास, चिड़चिड़ा या गुस्सा हो सकता है। मूड स्विंग्स के दौरान व्यक्ति के इमोशन्स में बहुत तेजी से चेंज आता है और कई बार व्यक्ति खुद भी इसके बारे में समझ नहीं पाता है। लाइफस्टाइल फैक्टर मूड स्विंग्स में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मसलन, घर या जॉब चेंज करना, पर्याप्त नींद नहीं लेना, हेल्दी फूछ ना लेना आदि मूड स्विंग्स की वजह बन सकते हैं। इसके अलावा, जब व्यक्ति के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, तब भी यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
तो अब अगर आपको कोई भी लक्षण नजर आए तो आप यह आसानी से पता लगा सकती हैं कि वह स्ट्रेस है या एंग्जाइटी या फिर मूड स्विंग्स।