मरते दम तक देव आनंद को याद थे मां के ये आखिरी शब्द… जिसमें छिपा था उनके भविष्य का एक राज!

वो देव आनंद साहब का दौर था। जिनकी एक-एक चीज फैंस को अजीज थी। उनकी स्माइल, उनका चार्म, उनकी एक्टिंग, उनका ओहरा, उनकी अदा… कितना कुछ था। उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में जिस मुकाम पर देव आनंद साहब थे, वहां तक पहुंचने से पहले उनकी जिंदगी में बहुत बड़ा तूफान आया था। वो था- उनकी मां का गुजर जाना। अपनी मां को बचाने के लिए उनसे जितना बन पाया, उन्होंने किया। जून की भरी दोपहरी में मीलों तक का सफर तय करके उनके लिए दवा लेने जाते थे। सुबह 4 बजे उठकर उनके लिए बकरी का दूध लेने जाते थे। उन्होंने अपनी मां को बचाने के लिए भरसक कोशिश की, लेकिन वो चली गईं। जाते-जाते वो कुछ ऐसे शब्द बोल गईं, जो देव आनंद साहब के जहन में मरते दम तक छपे रहे।

देव आनंद साहब (Dev Anand) ने अपने इस दर्द को खुद ही बयां किया था। उन्होंने सिमी ग्रेवाल के फेमस चैट शो Rendezvous with Simi Garewal में इस बारे में बात की थी। उन्होंने बताया था कि उनके पिता बहुत सख्त थे, जबकि मां… मां बहुत सौम्य। शायद ये शालीनता देव आनंद को अपनी मां से ही मिली थी। ये भी उन्होंने ही बताया था।

ये थे मां के आखिरी शब्द :

देव आनंद साहब ने बताया कि उनकी मां हॉस्पिटल में एडमिट थी। वो दिन-रात अपनी मां की सेवा में जुटे रहे। वो सुबह 4 बजे उठकर मां के लिए बकरी का दूध लेने जाते थे। उनकी दवा लेने के लिए कई किलोमीटर तक का सफर तय करते थे। वो उन्हें खोना नहीं चाहते थे। उन्होंने बताया कि जब मां आखिरी सांसें ले रही थी, तब उन्होंने मेरा हाथ थामा था और सामने खड़े पिता से कहा था, ‘मेरे शब्द याद रखना, मेरा बेटा कुछ बड़ा अचीव करेगा।’ देव आनंद बताते हैं कि वो ये शब्द कभी भूल नहीं पाए। उन्हें तब अहसास नहीं हुआ था, लेकिन जब सफलता मिली तो मां की ये लाइनें हमेशा याद रहीं।

देव आनंद को देख दुकानदार ने की थी भविष्यवाणी :

क्या आप जानते हैं कि देव आनंद साहब को लेकर अमृतसर में रहने वाले एक दुकानदार ने भी भविष्यवाणी की थी। दरअसल, देव आनंद साहब अपनी मां की दवा लेने के लिए बस से गुरदासपुर से अमृतसर जाते थे। वहां गोल्डन टेंपल के पास एक शर्बत की दुकान थी। उन्होंने बताया था, ‘मैंने दुकानदार से शर्बत मांगा, वो जैसे ही मुझे ग्लास देने के लिए मुड़ा उसकी आंखें ठहर गईं। उसने कहा कि तेरे मत्थे पर बहुत बड़ा सूरज है। तू एक दिन बड़ा आदमी बनेगा।’ उस दुकानदार की ये भविष्यवाणी सच निकली और देव आनंद साहब वाकई में इतने बड़े आदमी बने, जिसकी दुनिया साक्षी है।

देव आनंद ने एक्टिंग से पहले नौकरी की थी :

देव आनंद साहब का असली नाम धर्म देव आनंद था। उनका जन्म 23 सितंबर 1923 को गुरदासपुर, पंजाब में हुआ था। उनके पिता पिशोरी लाल आनंद जाने-माने वकील थे। देव चार भाई थे। बड़े भाई मनमोहन आनंद (वकील), चेतन आनंद और एक छोटा भाई विजय आनंद। देव आनंद की स्कूलिंग डलहौजी में हुई। फिर वो कॉलेज की पढ़ाई के लिए लाहौर से पहले धर्मशाला गए। देव ने इंग्लिश लिटरेचर में बीए किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मिलिट्री सेंसर ऑफिस से करियर की शुरुआत की, जहां उन्हें 65 रुपये सैलरी मिलती थी। इसके बाद उन्होंने अकाउंटिंग फर्म में बतौर क्लर्क काम किया, तब उन्हें 85 रुपये सैलरी मिलने लगी। फिर उन्होंने भाई चेतन को ज्वॉइन किया और वो इंडियन पीपल्स थियेटर एसोसिएशन के मेंबर बन गए। फिल्मों में अशोक कुमार की परफॉर्मेंस देखने के बाद उनके अंदर परफॉर्मर बनने की इच्छा जगी थी।

उन्हें भी था इस बात का अहसास…

उन्होंने सिमी ग्रेवाल को दिए इंटरव्यू में बताया था कि स्कूल में लड़कियां उनके आगे-पीछे घूमती थीं। लोगों की नजरें उनपर से हटती नहीं थी। इसलिए उन्हें इस बात का अहसास था कि वो दिखने में हैंडसम हैं। तभी उन्होंने भी एक्टिंग की तरफ जाने का फैसला किया।

About शिवांकित तिवारी "शिवा"

शौक से कवि,लेखक, विचारक, मुसाफ़िर पेशे से चिकित्सक! शून्य से आरंभ...

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